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न किसी से करम की उम्मीद रखें न किसी के सितम का ख़याल करें - सहर अंसारी कविता - Darsaal

न किसी से करम की उम्मीद रखें न किसी के सितम का ख़याल करें

न किसी से करम की उम्मीद रखें न किसी के सितम का ख़याल करें

हमें कौन से रंज मिले हैं नए कि जो दिल के ज़ियाँ का मलाल करें

अभी सिर्फ़ ख़याल है ख़्वाब-नुमा अभी सर्फ़-ए-नज़र है सराब-नुमा

ज़रा और ख़राब हो वज़-ए-जुनूँ तो वो ज़हमत-ए-पुर्सिश-ए-हाल करें

वही शहर है शहर के लोग वही ग़म-ए-ख़ंदा ओ संग ओ सलीब वही

यहाँ आए हैं कौन से ऐसे सख़ी कि जो लुत्फ़-ए-सुख़न का सवाल करें

सुने कौन ये ताना-ए-चारागरी सहे कौन ये दाग़-ए-कमाल-ए-रफ़ू

चलो दर्द-ए-वजूद जगाएँ सहर चलो ज़ख़्म-ए-हयात बहाल करें

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In Hindi By Famous Poet Sahar Ansari. is written by Sahar Ansari. Complete Poem in Hindi by Sahar Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.