Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_21d521d176cb98b8a5152446c5d4dac7, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इक आस का धुँदला साया है इक पास का तपता सहरा है - सहर अंसारी कविता - Darsaal

इक आस का धुँदला साया है इक पास का तपता सहरा है

इक आस का धुँदला साया है इक पास का तपता सहरा है

क्या देख रहे हो आँखों में इन आँखों में क्या रक्खा है

जब खोने को कुछ पास भी था तब पाने का कुछ ध्यान न था

अब सोचते हो क्यूँ सोचते हो क्या खोया है क्या पाया है

मैं झूट को सच से क्यूँ बदलूँ और रात को दिन में क्यूँ घोलूँ

क्या सुनने वाला बहरा है क्या देखने वाला अंधा है

हर ख़ाक में है गौहर ग़लताँ हर गौहर में मिट्टी रक़्साँ

जिस रूप के सब गुन गाते हैं वो रूप भी किस ने देखा है

किस दिल की बात कहें हम तुम किस दिल का दर्द सहें हम तुम

दिल पत्थर है दिल शीशा है दिल सहरा है दिल दरिया है

अब सारे तारे कंकर हैं अब सारे हीरे पत्थर हैं

इस बस्ती में क्यूँ आए हो इस बस्ती में क्या रक्खा है

ये मरना जीना भी शायद मजबूरी की दो लहरें हैं

कुछ सोच के मरना चाहा था कुछ सोच के जीना चाहा है

(561) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sahar Ansari. is written by Sahar Ansari. Complete Poem in Hindi by Sahar Ansari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.