जिस को तय कर न सके आदमी सहरा है वही
जिस को तय कर न सके आदमी सहरा है वही
और आख़िर मिरे रस्ते में भी आया है वही
ये अलग बात कि हम रात को ही देख सकें
वर्ना दिन को भी सितारों का तमाशा है वही
अपने मौसम में पसंद आया है कोई चेहरा
वर्ना मौसम तो बदलते रहे चेहरा है वही
एक लम्हे में ज़माना हुआ तख़्लीक़ 'मलाल'
वही लम्हा है यहाँ और ज़माना है वही
(589) Peoples Rate This