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कैसे कैसे मंज़र मेरी आँखों में आ जाते हैं - सग़ीर अालम कविता - Darsaal

कैसे कैसे मंज़र मेरी आँखों में आ जाते हैं

कैसे कैसे मंज़र मेरी आँखों में आ जाते हैं

यादों के सब ख़ंजर मेरी आँखों में आ जाते हैं

मेरी प्यासी आँखें फिर भी रह जाती हैं प्यासी हैं

यूँ तो सात-समुंदर मेरी आँखों में आ जाते हैं

किस की याद का दरिया मेरे दिल से हो कर बहता है

किस के दर्द पिघल कर मेरी आँखों में आ जाते हैं

किस की याद की ख़ुश्बू से मैं दिन-भर महका रहता हूँ

किस के ख़्वाब सँवर कर मेरी आँखों में आ जाते हैं

जब भी सोचने लगता हूँ मैं तेरे मेरे बारे में

आटा दलिया दफ़्तर मेरी आँखों में आ जाते हैं

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In Hindi By Famous Poet Sagheer Alam. is written by Sagheer Alam. Complete Poem in Hindi by Sagheer Alam. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.