कोई ताज़ा अलम न दिखलाए
आने वाले ख़ुशी से डरते हैं
लोग अब मौत से नहीं डरते
लोग अब ज़िंदगी से डरते हैं
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Anwar Masood
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
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मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
नग़्मों की इब्तिदा थी कभी मेरे नाम से
है दुआ याद मगर हर्फ़-ए-दुआ याद नहीं
बे-क़रारी में भी अक्सर दर्द-मंदान-ए-जुनूँ
पूछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए
वो बुलाएँ तो क्या तमाशा हो
अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले
ये जो दीवाने से दो चार नज़र आते हैं
झूम कर गाओ मैं शराबी हैं
है एहतिसाब-ए-वक़्त की लटकी हुई सलीब
रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए