जाने वाले हमारी महफ़िल से
चाँद तारों को साथ लेता जा
हम ख़िज़ाँ से निबाह कर लेंगे
तू बहारों को साथ लेता जा
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झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई
ख़ता-वार-ए-मुरव्वत हो न मरहून-ए-करम हो जा
मैं ने लौह-ओ-क़लम की दुनिया को
चाँदनी शब है सितारों की रिदाएँ सी लो
एक शबनम के क़तरे की तक़दीर को
तारों से मेरा जाम भरो मैं नशे में हूँ
ख़ाक उड़ती है तेरी गलियों में
तिरी नज़र के इशारों से खेल सकता हूँ
हर मरहला-ए-शौक़ से लहरा के गुज़र जा
ज़ुल्फ़-ए-बरहम की जब से शनासा हुई
हूरों की तलब और मय ओ साग़र से है नफ़रत