हम फ़क़ीरों की सूरतों पे न जा
हम कई रूप धार लेते हैं
ज़िंदगी के उदास लम्हों को
मुस्कुरा कर गुज़ार लेते हैं
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
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मैं तल्ख़ी-ए-हयात से घबरा के पी गया
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत
मर गए जिन के चाहने वाले
छुप के आएगा कोई हुस्न-ए-तख़य्युल की तरह
लोग कहते हैं रात बीत चुकी
जाम-ए-इशरत का एक घोंट नहीं
जिन से ज़िंदा हो यक़ीन ओ आगही की आबरू
छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
जिस दौर में लुट जाए ग़रीबों कमाई
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अंधेरा है
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर