दुख-भरी दास्तान माज़ी की
हाल की बे-रुख़ी का क़िस्सा हूँ
ऐ हक़ीक़त के ढूँडने वाले
मैं तिरी जुस्तुजू का हिस्सा हूँ
Javed Akhtar
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चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है
ज़िंदगी और शराब की लज़्ज़त
तेरी नज़र का रंग बहारों ने ले लिया
ला इक ख़ुम-ए-शराब कि मौसम ख़राब है
कलियों की महक होता तारों की ज़िया होता
जब जाम दिया था साक़ी ने जब दौर चला था महफ़िल में
मेरे तसव्वुरात हैं तहरीरें इश्क़ की
है दुआ याद मगर हर्फ़-ए-दुआ याद नहीं
कोई ताज़ा अलम न दिखलाए
भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए
सोने चाँदी की चमकती हुई मीज़ानों में
छुप के आएगा कोई हुस्न-ए-तख़य्युल की तरह