ऐ सितारों के चाहने वालो
आँसुओं के चराग़ हाज़िर हैं
रौनक़-ए-जश्न-ए-रंग-ओ-बू के लिए
ज़ख़्म हाज़िर हैं दाग़ हाज़िर हैं
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Gulzar
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Jaun Eliya
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फिर उमड आए हैं यादों के सुहाने बादल
चाँदनी शब है सितारों की रिदाएँ सी लो
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
वो बुलाएँ तो क्या तमाशा हो
ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियार
जिस दौर में लुट जाए ग़रीबों कमाई
ज़ख़्म-ए-दिल पर बहार देखा है
ऐ कि तख़्लीक़-ए-बहर-ओ-बर के ख़ुदा
हर मरहला-ए-शौक़ से लहरा के गुज़र जा
कलियों की महक होता तारों की ज़िया होता