लोग कहते हैं रात बीत चुकी
मुझ को समझाओ! मैं शराबी हूँ
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ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
मेरे तसव्वुरात हैं तहरीरें इश्क़ की
तारों से मेरा जाम भरो मैं नशे में हूँ
एक वा'दा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं
जिन से अफ़्साना-ए-हस्ती में तसलसुल था कभी
ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं
ज़िंदगी और शराब की लज़्ज़त
मता-ए-कौसर-ओ-ज़मज़म के पैमाने तिरी आँखें
रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
एक शबनम के क़तरे की तक़दीर को
ऐ सितारों के चाहने वालो
चश्म को ए'तिबार की ज़हमत