आज फिर बुझ गए जल जल के उमीदों के चराग़
आज फिर तारों भरी रात ने दम तोड़ दिया
Habib Jalib
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
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ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं
वो बुलाएँ तो क्या तमाशा हो
अब अपनी हक़ीक़त भी 'साग़र' बे-रब्त कहानी लगती है
राहज़न आदमी रहनुमा आदमी
ख़ाक उड़ती है तेरी गलियों में
दुख-भरी दास्तान माज़ी की
मुस्कुराओ बहार के दिन हैं
जाम टकराओ! वक़्त नाज़ुक है
काँटे तो ख़ैर काँटे हैं इस का गिला ही क्या
सोने चाँदी की चमकती हुई मीज़ानों में
हम फ़क़ीरों की सूरतों पे न जा
दुनिया-ए-हादसात है इक दर्दनाक गीत