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ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा - साग़र सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा

ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा

जा चुकी है बहार चुप हो जा

अब न आएँगे रूठने वाले

दीदा-ए-अश्क-बार चुप हो जा

जा चुका कारवान-लाला-ओ-गुल

उड़ रहा है ग़ुबार चुप हो जा

छूट जाती है फूल से ख़ुश्बू

रूठ जाते हैं यार चुप हो जा

हम फ़क़ीरों का इस ज़माने में

कौन है ग़म-गुसार चुप हो जा

हादसों की न आँख खुल जाए

हसरत-ए-सोगवार चुप हो जा

गीत की ज़र्ब से भी ऐ 'साग़र'

टूट जाते हैं तार चुप हो जा

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In Hindi By Famous Poet Saghar Siddiqui. is written by Saghar Siddiqui. Complete Poem in Hindi by Saghar Siddiqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.