आँख तुम्हारी मस्त भी है और मस्ती का पैमाना भी
एक छलकते साग़र में मय भी है मय-ख़ाना भी
Parveen Shakir
Rahat Indori
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(641) Peoples Rate This
हैरत से तक रहा है जहान-ए-वफ़ा मुझे
दश्त में क़ैस नहीं कोह पे फ़रहाद नहीं
दोस्तो दुर्द पिलाओ कि कड़ी रात कटे
आओ इक सज्दा करूँ आलम-ए-बद-सम्ती में
रातों को तसव्वुर है उन का और चुपके चुपके रोना है
होली
तेरे नग़्मों से है रग रग में तरन्नुम पैदा
सज्दे मिरी जबीं के नहीं इस क़दर हक़ीर
तख़्लीक़ अँधेरों से किए हम ने उजाले
गेसू को तिरे रुख़ से बहम होने न देंगे