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दोस्तो दुर्द पिलाओ कि कड़ी रात कटे - साग़र निज़ामी कविता - Darsaal

दोस्तो दुर्द पिलाओ कि कड़ी रात कटे

दोस्तो दुर्द पिलाओ कि कड़ी रात कटे

मय में कुछ और मिलाओ कि कड़ी रात कटे

आँसुओं से ये कड़ी रात नहीं कट सकती

आज मय-ख़ाना लुंढाओ कि कड़ी रात कटे

नग़्मे बाज़ार में महँगे हैं तो क्या ग़म यारो

नौहे को नग़्मा बनाओ कि कड़ी रात कटे

ज़ीस्त और मौत असातीर-ए-कुहन हैं यारो

नया अफ़्साना सुनाओ कि कड़ी रात कटे

कोई मशहूद है अब और न कोई शाहिद

और अगर है तो दिखाओ कि कड़ी रात कटे

ये भी ईमान ही का दूसरा रुख़ है लोगो

कुफ़्र को दीन बनाओ कि कड़ी रात कटे

ये अँधेरा ये समुंदर ये तलातुम आओ

आओ और मुझ में समाओ कि कड़ी रात कटे

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In Hindi By Famous Poet Saghar Nizami. is written by Saghar Nizami. Complete Poem in Hindi by Saghar Nizami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.