Ghazals of Saghar Nizami
नाम | साग़र निज़ामी |
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अंग्रेज़ी नाम | Saghar Nizami |
जन्म की तारीख | 1905 |
मौत की तिथि | 1984 |
जन्म स्थान | Delhi |
यूँ न रह रह कर हमें तरसाइए
सावन की रुत आ पहुँची काले बादल छाएँगे
सदियों की शब-ए-ग़म को सहर हम ने बनाया
रातों को तसव्वुर है उन का और चुपके चुपके रोना है
फिर रह-ए-इश्क़ वही ज़ाद-ए-सफ़र माँगे है
नग़्मे हवा ने छेड़े फ़ितरत की बाँसुरी में
नदीम-ए-दर्द-ए-मोहब्बत बड़ा सहारा है
न कश्ती है न फ़िक्र-ए-ना-ख़ुदा है
जो रहीन-ए-तग़य्युरात नहीं
हम आँखों से भी अर्ज़-ए-तमन्ना नहीं करते
हैरत से तक रहा है जहान-ए-वफ़ा मुझे
गेसू को तिरे रुख़ से बहम होने न देंगे
दोस्तो दुर्द पिलाओ कि कड़ी रात कटे
दश्त में क़ैस नहीं कोह पे फ़रहाद नहीं
आँख तुम्हारी मस्त भी है और मस्ती का पैमाना भी