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कुछ तो वफ़ा का रंग हो दस्त-ए-जफ़ा के साथ - साग़र मेहदी कविता - Darsaal

कुछ तो वफ़ा का रंग हो दस्त-ए-जफ़ा के साथ

कुछ तो वफ़ा का रंग हो दस्त-ए-जफ़ा के साथ

सुर्ख़ी मिरे लहू की मिला लो हिना के साथ

हम वहशियों से होश की बातें फ़ुज़ूल हैं

पैवंद क्या लगाएँ दरीदा-क़बा के साथ

सदियों से फिर रहा हूँ सुकूँ की तलाश में

सदियों की बाज़गश्त है अपनी सदा के साथ

परवाज़ की उमंग न कुंज-ए-क़फ़स का रंज

फ़ितरत मिरी बदल गई आब-ओ-हवा के साथ

क्या पत्थरों के शहर में दूकान-ए-शीशा-गर

इक शम्अ' जल रही है ग़ज़ब की हवा के साथ

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In Hindi By Famous Poet Saghar Mehdi. is written by Saghar Mehdi. Complete Poem in Hindi by Saghar Mehdi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.