ये भी सच है कि मुझे दिल से भुलाया होगा
ये भी सच है कि कभी चैन न पाया होगा
ये भी सच है दर-ओ-दीवार पे अपने घर के
लिख के सौ बार मिरा नाम मिटाया होगा
Ahmad Faraz
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दुम
'साग़र' किसे बताइए ये वोल्टेज का हाल
क्यूँ दिल तिरे ख़याल का हामिल नहीं रहा
होली
ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता
नवादिरात की दूकान
बोला दुकान-दार कि क्या चाहिए तुम्हें
देख के बोला हाथ मुनज्जम
पस-ए-रौशनी
पड़ोसी की मुर्ग़ियाँ
इक अजब चीज़ है शराफ़त भी
ज़रूरत-ए-रिश्ता