मैं ने पूछा ये एक शाएर से
पीर को भी मुरीद कहते हो
चाँद तारों को कहते हो कुत्ता
शेर इतने जदीद कहते हो
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जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
तस्वीर आज देख के अहद-ए-शबाब की
कौन कहता है बुलंदी पे नहीं हूँ 'सागर'
बैठे हैं ऐसे ज़ुल्फ़ में कलियाँ सँवार के
पस-ए-रौशनी
'साग़र' बहुत गुज़ारी गुनाहों में ज़िंदगी
बोला दुकान-दार कि क्या चाहिए तुम्हें
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
क्यूँ हमारे ख़ून को पानी किए देते हैं आप
इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
बारिशें नहीं होतीं
ये भी सच है कि मुझे दिल से भुलाया होगा