क्यूँ हमारे ख़ून को पानी किए देते हैं आप
दोस्तों को दुश्मन-ए-जानी किए देते हैं आप
वो ज़बाँ जो है 'फ़िराक़' ओ 'शाद' ओ 'शंकर' की ज़बाँ
उस ज़बाँ की क्यूँ मुसलमानी किए देते हैं आप
Javed Akhtar
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Faiz Ahmad Faiz
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जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
न लिक्खो वस्ल की राहत सलीब लिख डालो
अदब में आ गए ख़म ठोंक शाएर
गिर्या-ए-शैताँ
पस-ए-रौशनी
हुस्न ही हुस्न का हर शहर में जल्वा होता
इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
तजरबा है हमें मोहब्बत का
मग़्ज़-ए-शाएर
तौबा तौबा से नदामत की घड़ी आई है
कौन कहता है बुलंदी पे नहीं हूँ 'सागर'
नवादिरात की दूकान