इक शब हमारे बज़्म में जूते जो खो गए
हम ने कहा बताइए घर कैसे जाएँगे
कहने लगे कि शेर सुनाते रहो यूँही
गिनते नहीं बनेंगे अभी इतने आएँगे
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Gulzar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Anwar Masood
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बोला दुकान-दार कि क्या चाहिए तुम्हें
इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
ज़रूरत-ए-रिश्ता
नफ़रतों की जंग में देखो तो क्या क्या खो गया
रोटी कपड़ा और मकान
इक अजब चीज़ है शराफ़त भी
वो भी क्या दिन थे कि जब इश्क़ लड़ा लेते थे
'साग़र' बहुत गुज़ारी गुनाहों में ज़िंदगी
तजरबा है हमें मोहब्बत का
उस्ताद मर गए
होली
पड़ोसी की मुर्ग़ियाँ