बारिशें नहीं होतीं
इस लिए ज़माने में
ख़त्म हो गए जंगल
कुर्सियाँ बनाने में
Javed Akhtar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Gulzar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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महँगाई के ज़माने में बच्चों की रेल-पेल
इक शब हमारे बज़्म में जूते जो खो गए
कौन कहता है बुलंदी पे नहीं हूँ 'सागर'
अलाउद्दीन का तरबूज़
कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर
लड़की की दुआ
मग़्ज़-ए-शाएर
दुम
तस्वीर आज देख के अहद-ए-शबाब की
मुद्दत हुई है बिछड़े हुए अपने-आप से
बोला दुकान-दार कि क्या चाहिए तुम्हें
जान जाने को है और रक़्स में परवाना है