अदब में आ गए ख़म ठोंक शाएर
ग़ज़ल क्या मेहरबानी कर रही है
हसीनों का जो लिखती थी क़सीदा
वो लड़की पहलवानी कर रही है
Javed Akhtar
Gulzar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
हुस्न ही हुस्न का हर शहर में जल्वा होता
मह-जबीनो पास आओ और ये बतलाओ हमें
आशिक़ जो चाहते थे वही काम हो गया
कहूँ तो क्या मैं कहूँ प्यारी प्यारी आँखों को
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
ये हादसा है बता दे कोई ज़माने को
कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर
ख़ुद तो कभी न आएगी होंटों पे अब हँसी
देख के बोला हाथ मुनज्जम
'साग़र' किसे बताइए ये वोल्टेज का हाल
पस-ए-रौशनी