आशिक़ जो चाहते थे वही काम हो गया
कल कल से रोज़ रोज़ की आराम हो गया
कहने लगी हैं जब से ग़ज़ल औरतें जनाब
मुर्दों से गुफ़्तुगू का ग़ज़ल नाम हो गया
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
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दिल्ली की लड़कियाँ
इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
दिल्ली की बस
मह-जबीनो पास आओ और ये बतलाओ हमें
गधों का मुशाएरे
रह-ए-हयात में बस वो क़दम बढ़ा के चले
मैं ने पूछा ये एक शाएर से
बोला दुकान-दार कि क्या चाहिए तुम्हें
ये हादसा है बता दे कोई ज़माने को
दुम
कहूँ तो क्या मैं कहूँ प्यारी प्यारी आँखों को
नवादिरात की दूकान