इंजीनियर करेंगे अगर डॉक्टर का काम
फिर जान लें मरीज़ की है ज़िंदगी तमाम
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सिर्फ़ कहती रहोगी ऐ बेगम
ख़ुद तो कभी न आएगी होंटों पे अब हँसी
बैठे हैं ऐसे ज़ुल्फ़ में कलियाँ सँवार के
आशिक़ जो चाहते थे वही काम हो गया
कौन कहता है बुलंदी पे नहीं हूँ 'सागर'
महँगाई के ज़माने में बच्चों की रेल-पेल
होली
दिल्ली की बस
अदब में आ गए ख़म ठोंक शाएर
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
तस्वीर आज देख के अहद-ए-शबाब की
क्यूँ दिल तिरे ख़याल का हामिल नहीं रहा