पस-ए-रौशनी

बढ़ रहे हैं हर तरफ़ अज़्म ओ अमल के कारवाँ

मुर्ग़ अंडे दे रहे हैं और अज़ानें मुर्ग़ियाँ

मैं कहूँ दौर-ए-तरक़्क़ी या इसे दौर-ए-ख़िज़ाँ

आदमी बे-मोल है और पार्ट्स बॉडी के गिराँ

जो मुकम्मल आदमी है बे-सर-ओ-सामान है

बोटी बोटी देखिए तो लख-पति इंसान है

गर यूँ ही हर अंग के पैसे बढ़ेंगे बे-शुमार

कोई भेजा चोर होगा कोई ग़ुंडा आँख-मार

शाह-राहों पर लगेंगे एक दिन ये इश्तिहार

भाइयो! गुर्दा-कटों से होशियार ओ होशियार

इस तरक़्क़ी की बदौलत वो ज़माने आएँगे

चोर डाकू आशिक़ों के दिल चुराने आएँगे

कूचा-ए-महबूब में अब दिल न फेंके जाएँगे

टूट जाएँगे अगर टुकड़े बटोरे जाएँगे

जब विगों की फ़ैक्टरी में बाल बेचे जाएँगे

सर-घटे महबूब आशिक़ से न देखे जाएँगे

बिक रहे हैं मार्किट में औने-पौने देखना

उस्तुख़ान-ए-इब्न-ए-आदम के खिलौने देखना

जब तलक इतनी तरक़्क़ी से जहाँ महरूम था

जो भी लुटिया-चोर था वो सूरतन मासूम था

जेब-कतरा तक हमारे अहद का मासूम था

आँख इतनी क़ीमती है कब उसे मालूम था

आँख बस में काट ली बेगम दिवानी हो गईं

यूँ ही क्या अच्छी थी सूरत उस पे कानी हो गईं

अपने अपने ज़ाविए से देखती है सब की आँख

चाहिए मतलूब को हर हाल में मतलब की आँख

ढब का रस्ता कब दिखाती है कसी बेढब की आँख

चेहरा-ए-बेगम पे जड़ दी मौलवी-साहब की आँख

आँख मुल्ला-जी की लगवा दी मिरे फूटे करम

कुछ दिनों से उन को मुल्लानी नज़र आते हैं हम

एक दिन बेगम ये बोलीं अपनी नज़रें मोड़ के

दाँत सोने के लगाओ सारे ख़र्चे छोड़ के

अर्ज़ की बेगम से हम ने हाथ अपने जोड़ के

लय गए डाकू कई के दाँत जबड़ा तोड़ के

पढ़ के कल अख़बार में बेगम हया से गड़ गया

एक नेता-जी के मुँह में रात डाका पड़ गया

हँस के बोलीं हम भी रहते हैं इसी संसार में

हम ने तो देखा नहीं बिकता लहू बाज़ार में

अर्ज़ की मैं नज़्म कर देता हूँ वो अशआर में

इस सदी के बाद जो छापेंगे सब अख़बार में

देख लीजो जानवर सर पर बिठाए जाएँगे

आदमी की खाल के जूते बनाए जाएँगे

एक बोतल ख़ूँ की क़ीमत अल-हफ़ीज़-ओ-अल-अमाँ

लाइए लफ़्ज़ें कहाँ से हाल कीजे क्या बयाँ

कह रहा है अहल दिल से आज भी कच्चा मकाँ

जब बिकेगा ख़ून तब उट्ठेगा चूल्हे से धुआँ

ये वसीला भी कमाने का मिटा देते हैं लोग

मंदिर ओ मस्जिद के आँगन में बहा देते हैं लोग

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In Hindi By Famous Poet Saghar Khayyami. is written by Saghar Khayyami. Complete Poem in Hindi by Saghar Khayyami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.