गले पड़ा मेहमान

इक रोज़ घर जमे हुए मेहमान से कहा

रुस्वा हुआ कि आप की ख़िदमत न कर सका

कहने लगे कि ऐसा नहीं है जनाब-ए-मन

भाभी मुझे खिलाती रहीं मुर्ग़ और मटन

अफ़राद-ए-ख़ाना आप के सब बे-गज़ंद हैं

बेटे भी तीनों आप के मुझ को पसंद हैं

मैं ने कहा कि फिर भी मिरे दिल को है यक़ीं

ख़ातिर न कोई कर सका मैं आप के तईं

ज़हमत हुई है अब न कभी आप आएँगे

बोले ज़रूर आऊँगा जब भी बुलाएँगे

मैं ने कहा कि मुर्ग़ मटन यूँ ही खाओगे

जब जाओगे नहीं तो भला कैसे आओगे

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In Hindi By Famous Poet Saghar Khayyami. is written by Saghar Khayyami. Complete Poem in Hindi by Saghar Khayyami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.