जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
कितना रंगीन मोहब्बत तिरा अफ़्साना है
ये तो देखा कि मिरे हाथ में पैमाना है
ये न देखा कि ग़म-ए-इश्क़ को समझाना है
इतना नज़दीक हुए तर्क-ए-तअल्लुक़ की क़सम
जो कहानी है मिरी आप का अफ़्साना है
हम नहीं वो कि भुला दें तिरे एहसान-ओ-करम
इक इनायत तिरा ख़्वाबों में चला आना है
एक महशर से नहीं कम तिरा आना लेकिन
इक क़यामत तिरा पहलू से चला जाना है
ख़ुम ओ मीना मय ओ मस्ती ये गुलाबी आँखें
कितना पुर-कैफ़ मिरे हिज्र का अफ़्साना है
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