साग़र ख़य्यामी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साग़र ख़य्यामी
नाम | साग़र ख़य्यामी |
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अंग्रेज़ी नाम | Saghar Khayyami |
जन्म की तारीख | 1936 |
मौत की तिथि | 2008 |
जन्म स्थान | Lucknow |
ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता
ये भी सच है कि मुझे दिल से भुलाया होगा
तजरबा है हमें मोहब्बत का
सिर्फ़ कहती रहोगी ऐ बेगम
'साग़र' किसे बताइए ये वोल्टेज का हाल
रफ़्ता रफ़्ता हर पुलीस वाले को शाएर कर दिया
न लिक्खो वस्ल की राहत सलीब लिख डालो
मैं ने पूछा ये एक शाएर से
महँगाई के ज़माने में बच्चों की रेल-पेल
मह-जबीनो पास आओ और ये बतलाओ हमें
क्यूँ हमारे ख़ून को पानी किए देते हैं आप
कहा बेटे ने इक तस्वीर अपनी माँ को दिखला कर
हुस्न ही हुस्न का हर शहर में जल्वा होता
इक शब हमारे बज़्म में जूते जो खो गए
देख के बोला हाथ मुनज्जम
बोला दुकान-दार कि क्या चाहिए तुम्हें
बारिशें नहीं होतीं
बदला न ब'अद-ए-मौत भी काँटों-भरा नसीब
अदब में आ गए ख़म ठोंक शाएर
अब इश्क़ नहीं मुश्किल बस इतना समझ लीजे
आशिक़ जो चाहते थे वही काम हो गया
वो भी क्या दिन थे कि जब इश्क़ लड़ा लेते थे
उस वक़्त मुझ को दावत-ए-जाम-ओ-सुबू मिली
तस्वीर आज देख के अहद-ए-शबाब की
'साग़र' बहुत गुज़ारी गुनाहों में ज़िंदगी
नफ़रतों की जंग में देखो तो क्या क्या खो गया
मुद्दत हुई है बिछड़े हुए अपने-आप से
कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर
ख़ुद तो कभी न आएगी होंटों पे अब हँसी
कौन कहता है बुलंदी पे नहीं हूँ 'सागर'