फूलों से बदन उन के काँटे हैं ज़बानों में

फूलों से बदन उन के काँटे हैं ज़बानों में

शीशे के हैं दरवाज़े पत्थर की दुकानों में

कश्मीर की वादी में बे-पर्दा जो निकले हो

क्या आग लगाओगे बर्फ़ीली चटानों में

बस एक ही ठोकर से गिर जाएँगी दीवारें

आहिस्ता ज़रा चलिए शीशे के मकानों में

अल्लाह-रे मजबूरी बिकने के लिए अब भी

सामान-ए-तबस्सुम है अश्कों की दुकानों में

आने को है फिर शायद तूफ़ान नया कोई

सहमे हुए बैठे हैं लोग अपने मकानों में

शोहरत की फ़ज़ाओं में इतना न उड़ो 'साग़र'

परवाज़ न खो जाए इन ऊँची उड़ानों में

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In Hindi By Famous Poet Saghar Azmi. is written by Saghar Azmi. Complete Poem in Hindi by Saghar Azmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.