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ग़ुरूब होते हुए दो सितारे आँखों में - सफ़दर सिद्दीक़ रज़ी कविता - Darsaal

ग़ुरूब होते हुए दो सितारे आँखों में

ग़ुरूब होते हुए दो सितारे आँखों में

शिकस्त-ए-ख़्वाब के हैं इस्तिआरे आँखों में

फिर उस के बअ'द किसी भी पलक अमाँ न मिली

वो रोज़-ओ-शब कि जो हम ने गुज़ारे आँखों में

हम आख़िर-ए-शब-ए-उम्मीद सो भी जाएँ मगर

वो ख़्वाब-ए-गुम-शुदगाँ कौन उतारे आँखों में

इस एहतिमाम से रोते हैं तेरे दिल-ज़दगाँ

कि बाहर आँखों से दरिया किनारे आँखों में

हम अपने चेहरे पे अपना ही दुख नहीं रखते

सब अहल-ए-हिज्र के हैं गोश्वारे आँखों में

वो कुश्तगान-ए-पस-ओ-पेश अन-कहे अल्फ़ाज़

जो बच गए थे सो वो भी सिधारे आँखों में

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In Hindi By Famous Poet Safdar Siddiq Razi. is written by Safdar Siddiq Razi. Complete Poem in Hindi by Safdar Siddiq Razi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.