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रस्तों पे न बैठो कि हवा तंग करेगी - सफ़दर सलीम सियाल कविता - Darsaal

रस्तों पे न बैठो कि हवा तंग करेगी

रस्तों पे न बैठो कि हवा तंग करेगी

बिछड़े हुए लोगों की सदा तंग करेगी

आसाब पे पहरे न बिठा सुब्ह-ए-सफ़र है

टूटेगा बदन और क़बा तंग करेगी

मत टूट के चाहो उसे आग़ाज़-ए-सफ़र में

बिछड़ेगा तो इक एक अदा तंग करेगी

इतना भी उसे याद न कर शाम-ए-ग़रीबाँ

महकेगी फ़ज़ा बू-ए-हिना तंग करेगी

ख़्वाबों के जज़ीरे से निकलना ही पड़ेगा

जिस सम्त गए बू-ए-क़बा तंग करेगी

पुर-हब्स शबों में अभी नींदें नहीं उतरीं

नींद आई तो फिर बाद-ए-सबा तंग करेगी

ख़ुद-सर है अगर वो तो मरासिम न बढ़ाओ

ख़ुद्दार अगर हो तो अना तंग करेगी

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In Hindi By Famous Poet Safdar Saleem Sial. is written by Safdar Saleem Sial. Complete Poem in Hindi by Safdar Saleem Sial. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.