Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b32a6f7b2a24c55460ab3a2144d12ceb, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपनी साँसें मिरी साँसों में मिला के रोना - सफ़दर सलीम सियाल कविता - Darsaal

अपनी साँसें मिरी साँसों में मिला के रोना

अपनी साँसें मिरी साँसों में मिला के रोना

जब भी रोना मुझे सीने से लगा के रोना

क़ैद-ए-तन्हाई से निकला हूँ अभी जान-ए-सफ़र

मुझ से मिलना मुझे ज़ुल्फ़ों में छुपा के रोना

इतना सफ़्फ़ाक न था घर का ये मंज़र पहले

तिरी यादों के चराग़ों को बुझा के रोना

हम ने इस तरह भी काटी हैं बहुत सी रातें

दिल के ख़ुश रखने को अफ़्साने सुना के रोना

कितने बे-दर्द हैं इस देस में रहने वाले

अपने हाथों तुझे सूली पे चढ़ा के रोना

ग़म-ए-दौराँ ने तिरे लुत्फ़ की मोहलत ही न दी

ये भी होना था सर-ए-शब तुझे पा के रोना

(539) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Safdar Saleem Sial. is written by Safdar Saleem Sial. Complete Poem in Hindi by Safdar Saleem Sial. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.