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ओस की तमन्ना में जैसे बाग़ जलता है - सफ़दर मीर कविता - Darsaal

ओस की तमन्ना में जैसे बाग़ जलता है

ओस की तमन्ना में जैसे बाग़ जलता है

तू न हो तो सीने का दाग़ दाग़ जलता है

चाँद चल दिया चुप-चाप सो गए सितारे भी

रात की स्याही में दिल का दाग़ जलता है

मौत इक कहानी है ज़ीस्त जावेदानी है

इक चराग़ बुझता है इक चराग़ जलता है

क़त्ल-गाह से ले कर क़ातिलों के दामन तक

ख़ून-ए-नाहक़-ए-फ़रहाद का सुराग़ जलता है

साथियों से दूरी में इक जहाँ से दूरी है

मय में दम नहीं साक़ी और अयाग़ जलता है

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In Hindi By Famous Poet Safdar Meer. is written by Safdar Meer. Complete Poem in Hindi by Safdar Meer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.