बहुत जी तरसता रहा रात भर
बहुत जी तरसता रहा रात भर
जो हम से भी मिल लो मुलाक़ात भर
बिसात-ए-तमन्ना उलटते हो क्यूँ
कि बाज़ी ये खेलेंगे हम रात भर
है आँखों में तूफ़ाँ ब-क़द्र-ए-जुनूँ
है दिल में तमन्ना ख़राबात भर
नहीं माँगते मस्ती-ए-जावेदाँ
हमें चाहिए मय मुदारात भर
ज़रा देख लो मेरे दिल की तरफ़
ये छल-बल वदीअत नहीं रात भर
घर आई उमँड कर घटा चार ओर
खुलेगी तबीअत न बरसात भर
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