बहार आई है फिर पैरहन गुलाबी हो

बहार आई है फिर पैरहन गुलाबी हो

वो चाँद आए सर-ए-अंजुमन गुलाबी हो

सियाह रात सी छाई वो ज़ुल्फ़ चेहरे पर

जबीन-ए-नाज़ गुलाबी बदन गुलाबी हो

खुलें जो बंद-ए-क़बा रात जगमगा उठ्ठे

महकती सेज शिकन-दर-शिकन गुलाबी हो

हवा की लरज़िशें दहकातीं आरिज़-ओ-लब को

हया की मौज से सारा बदन गुलाबी हो

वो होंट चुप हों तो आँखों में फूल से झमकें

हिलें तो सारी फ़ज़ा-ए-सुख़न गुलाबी हो

गुलाल इस तरह बरसाए कोई चार तरफ़

चमन गुलाबी हवा-ए-चमन गुलाबी हो

सियाही-ए-शब-ए-हिज्राँ सियाह-तर न करो

जो हो तो चाँद का मेरे गहन गुलाबी हो

वतन से दूर बहारों को खोजने वाले

जो इन दिनों में ज़मीन-ए-वतन गुलाबी हो

(1510) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Safdar Meer. is written by Safdar Meer. Complete Poem in Hindi by Safdar Meer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.