सफ़दर मीर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सफ़दर मीर
नाम | सफ़दर मीर |
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अंग्रेज़ी नाम | Safdar Meer |
नहीं माँगते मस्ती-ए-जावेदाँ
रात कितनी बोझल है किस क़दर अँधेरा है
फिर कोई आ रहा है दिल के क़रीब
ओस की तमन्ना में जैसे बाग़ जलता है
दुरुस्त है कि मिरा हाल अब ज़ुबूँ भी नहीं
चारों ओर अब फूल ही फूल हैं क्या गिनते हो दाग़ों को
बहुत जी तरसता रहा रात भर
बहार आई है फिर पैरहन गुलाबी हो
बग़ौर देखो तो ज़ख़्मों का इक चमन सा है