ये सब तो
मेरा कोई नाम नहीं
न कोई वतन
न मज़हब
न बाप न माँ है कोई
यूँ मेरा होना
बहुतों के नज़दीक
मश्कूक हो गया
फिर हर तरफ़ से थू थू होने लगी
मावरा से
घसीटते फिरो उस की लाश
एक साथ कई आवाज़ें बुलंद हुईं
कई मुट्ठियाँ खिंचीं
लाठियाँ चलीं
तलवारें सौंती गईं
बंदूक़ें दाग़ी गईं
पर सारी तलवारें
लाठियाँ और बन्दूक़ों की गोलियाँ
कुछ दूर हवा को चीर कर
नीचे आन गिरीं
जिस का कोई नाम न हो
न वतन
न मज़हब
न कोई वाली वारिस
उसे निशाने पर लाना आसान भी तो नहीं
ये सब कुछ तो
हर एक में छुपा हुआ है
कुछ फ़र्ज़ कर लेना
हक़ीक़त में कुछ होना तो नहीं है
हाँ किसी की मौत फ़र्ज़ की जा सकती है
किसी भी ला-वारिस क़ब्र पर
किसी भी नाम का कतबा लगाया जा सकता है
सब हरामी बच्चे
एक हो जाएँ
मुट्ठियाँ भेंच लें
लाठियाँ तान लें
तलवारें सौंत लें
बंदूक़ें उठा लें
और शुस्त भी बाँध लीं
तो भी उन का वार ख़ाली ही जाता है
ख़ाली न भी गया
तो भी
हलाकत तो ख़ुद उन की होनी है
क्यूँकि
ये सब कुछ तो
हर एक में छुपा हुआ है
(584) Peoples Rate This