तिनका
ये छोटी सी नदी तो महज़
नदी की हल्की सी झलक है
नदी का पूरा पाट देखना हो
तो मेरे दिल में उतर कर देखो
जहाँ से उस के सोते फूटते हैं
लेकिन मेरे दिल से
एक नहीं
कई नदियों के सोते फूटते हैं
कभी कभी ये सोते ख़ुश्क भी हो जाते हैं
और दिल में धूल सी उड़ने लगती है
दिल एक रेत के टीले की तरह दिखाई देने लगता है
लेकिन ये रेत तो बस इस की ऊपरी सतह है
इस की रेतीली सतह के नीचे
एक दरिया है
जो आम तौर पर तो ख़ामोश रहता है
लेकिन कभी कभी
तरंग में आ जाए
तो गाने भी लगता है
कभी कभी उस का कोई बोल
बे-क़ाबू हो कर
एक नद्दी का तअस्सुर देता है
और एक तिनका
देर तक
उस की तरह पर हलकोरे लेता रहता है
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