नया फ़्रेम
सफ़ेद काग़ज़ पीला पड़ चुका है
और इबारत धुँदली हो गई है
जिल्द उधड़ चुकी है
इसे लिखने वाला मर गया है
आसार-ए-क़दीमा के माहेरीन
और ज़बानों के मुहक़्क़िक़ीन
इस नतीजे पर पहुँचे हैं
ये किताब किसी मुर्दा ज़बान में लिखी गई है
जो अब ज़मीन के किसी ख़ित्ते में बोली या समझती नहीं जाती
रात के किसी पहर आसार-ए-क़दीमा के एक माहिर की आँख खुल जाती है
वो लकड़ी के वज़नी संदूक़ से किताब निकालता है
बोसीदा सर-वरक़ पर मुसन्निफ़ की जगह उस का नाम लिखा है
किताब किसी बादशाह के नाम मा'नून की गई है
पहले सफ़्हे पर सरकारी ख़ज़ाने का हिसाब है
दूसरे सफ़्हे पर पुरोहित के जारी कर्दा इबादत के अहकाम
तीसरे सफ़्हे पर उन मुजरिमों के नाम हैं
जिन्हें एक मनहूस दुआ के जुर्म में
दूसरे दिन सलीब पर चढ़ाया जाना था
उस के बा'द कुछ सादा सफ़्हात हैं
शायद किताब का मुसन्निफ़ भी मार दिया गया
इस की तस्दीक़ आगे की इन दुआओं से होती है
जो मरे हुओं की मग़फ़िरत के लिए सरकारी पुरोहितों ने माँगें
और जो बदली हुई तहरीर में थीं
किताब के आख़िरी सफ़्हे पर
बादशाह की मौत की ख़बर थी
और इस के नीचे एक मनहूस दुआ
जिसे आसार-ए-क़दीमा के माहिर ने फ़ौरन पहचान लिया
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