अपनी खोई हुई तौक़ीर नुमायाँ कर दें

अपनी खोई हुई तौक़ीर नुमायाँ कर दें

क्यूँ न तारीकी-ए-महफ़िल को फ़रोज़ाँ कर दें

नूर-ए-सुल्ताना-ओ-रज़िया की हमिय्यत की क़सम

गुम्बद-ए-चर्ख़ को इक बार तो लर्ज़ां कर दें

फ़ातिमा-ज़हरा के दिल-दोज़ तहम्मुल की क़सम

अज़्मत-ए-रफ़्ता से दुनिया में चराग़ाँ कर दें

जब्र और ज़ुल्म की बुनियाद को ढह कर बहनो

आओ अब हिम्मत-ए-मर्दाना को हैराँ कर दें

तफ़रक़े सारे ये आपस के मिटा डालें हम

आओ अब जुरअत-ए-निसवाँ को नुमायाँ कर दें

हिन्द वीरान हुआ हम को ही 'मख़फ़ी' रख कर

उठो इस उजड़े गुलिस्ताँ में बहाराँ कर दें

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In Hindi By Famous Poet Saeeda Jahan Makhfi. is written by Saeeda Jahan Makhfi. Complete Poem in Hindi by Saeeda Jahan Makhfi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.