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मुसव्विर अपने तसव्वुर का ढूँढता है दवाम - सईदुल ज़फर चुग़ताई कविता - Darsaal

मुसव्विर अपने तसव्वुर का ढूँढता है दवाम

मुसव्विर अपने तसव्वुर का ढूँढता है दवाम

न जाम-ए-जम न विसाल-ए-सनम न शोहरत-ओ-नाम

हयात जब्र-ए-मुसलसल है तू है जब्र-शिकन

हर एक गाम पे आज़ादगी का तुझ को सलाम

तसव्वुरात के फूलों में रंग भरता है

हक़ीक़तों की कड़ी धूप देती है इनआ'म

सहर भी होगी नसीम-ए-सहर भी गाएगी

मगर ये रात मोहब्बत चराग़ ज़हर के जाम

शराब पी भी तो पी चश्म-ए-मस्त साक़ी से

मगर चढ़ाए पिया पे ग़म-ए-हयात के जाम

मैं अपनी शम्अ' जलाता रहा हूँ तौबा पर

मैं अपने शो'ले से होता रहा हूँ गर्म-ए-कलाम

उसी से मेरे रग-ओ-पै में आतिश-ए-सय्याल

उसी से मेरे तसव्वुर के ख़म में माह-ए-तमाम

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In Hindi By Famous Poet Saeed-ul-Zafar Chughtai. is written by Saeed-ul-Zafar Chughtai. Complete Poem in Hindi by Saeed-ul-Zafar Chughtai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.