तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
ऐसी तंहाई का जवाब नहीं
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1980) Peoples Rate This
पसीने पसीने हुए जा रहे हो
मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की
कोई पास आया सवेरे सवेरे
आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
नहीं है ये तिरा कूचा नहीं है
वो अंजुमन में रात अजब शान से गए
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वाले
ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा