मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
Faiz Ahmad Faiz
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तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की
ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में
कोई पास आया सवेरे सवेरे
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
इतना तो हुआ ऐ दिल इक शख़्स के जाने से
मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
वो अंजुमन में रात अजब शान से गए
पसीने पसीने हुए जा रहे हो
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे