मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता
तेरे लिक्खे को निभाया क्या ख़ता की मैं ने
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दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वाले
आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
कोई पास आया सवेरे सवेरे
तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
वो अंजुमन में रात अजब शान से गए
पसीने पसीने हुए जा रहे हो
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की