दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वाले
मैं ने देखे हैं कई रंग ज़माने वाले
Wasi Shah
Habib Jalib
Anwar Masood
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
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तुम नहीं ग़म नहीं शराब नहीं
ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में
वो अंजुमन में रात अजब शान से गए
इतना तो हुआ ऐ दिल इक शख़्स के जाने से
नहीं है ये तिरा कूचा नहीं है
कोई पास आया सवेरे सवेरे
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो