कोई पास आया सवेरे सवेरे
मुझे आज़माया सवेरे सवेरे
मेरी दास्ताँ को ज़रा सा बदल कर
मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे
जो कहता था कल शब सँभलना सँभलना
वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे
कटी रात सारी मिरी मय-कदे में
ख़ुदा याद आया सवेरे सवेरे
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मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
पसीने पसीने हुए जा रहे हो
दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वाले
वो अंजुमन में रात अजब शान से गए
ख़ंजर से करो बात न तलवार से पूछो
नहीं है ये तिरा कूचा नहीं है
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजिए
इतना तो हुआ ऐ दिल इक शख़्स के जाने से
गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे
ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों में