इंतिज़ार

और तुम नहीं आते

चाँद डूब जाता है

उम्र बीत जाती है

इंतिज़ार की बाज़ी

रात जीत जाती है

जब्र का कड़ा लम्हा

आस का बुझा तारा

शाम-ए-हिज्र का दरिया

मुझ में डूब जाता है

और तुम नहीं आते

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In Hindi By Famous Poet Saeed Qais. is written by Saeed Qais. Complete Poem in Hindi by Saeed Qais. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.