Ghazals of Saeed Naqvi
नाम | सईद नक़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Saeed Naqvi |
वरक़ वरक़ से नया इक जवाब माँगूँ मैं
साअत-ए-हिज्र जब सताती है
रस्ते लपेट कर सभी मंज़िल पे लाए हैं
पहले तो जस्ता जस्ता भूल गया
मैं दोस्त से न किसी दुश्मनी से डरता हूँ
किया है ख़ुद ही गिराँ ज़ीस्त का सफ़र मैं ने
इब्तिदा मुझ में इंतिहा मुझ में
फ़सील-ए-ज़ात में दर तो तिरी इनायत है
चाहे हमारा ज़िक्र किसी भी ज़बाँ में हो