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ख़ुश्क होंटों की अना माइल-ए-साग़र क्यूँ है - सईद आरिफ़ी कविता - Darsaal

ख़ुश्क होंटों की अना माइल-ए-साग़र क्यूँ है

ख़ुश्क होंटों की अना माइल-ए-साग़र क्यूँ है

तू समुंदर है तो ये प्यास का मंज़र क्यूँ है

ये फ़ुसूँ-कारी-ए-एहसास है या अक्स-ए-हयात

आइना-ख़ाने का हर आइना शश्दर क्यूँ है

क़ुर्ब-ए-साहिल भी ठहरती नहीं अब कश्ती-ए-जाँ

इतना बरहम मिरे अंदर का समुंदर क्यूँ है

शो'ला शो'ला है हर इक शाख़ मिरी पलकों की

फिर भी आँखों में हसीं ख़्वाब का पैकर क्यूँ है

जुम्बिश-ए-लब की भी जुरअत नहीं हासिल है अगर

फिर मिरे दिल में ये जज़्बात का लश्कर क्यूँ है

क्या कोई लम्हा-ए-जाँ-सोज़ है आने वाला

लौ दिए की मिरे इस रात फ़ुज़ूँ-तर क्यूँ है

ढंग आया न तुझे भेस बदलने का 'सईद'

बात जो दिल में है तेरे वही लब पर क्यूँ है

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In Hindi By Famous Poet Saeed Arifi. is written by Saeed Arifi. Complete Poem in Hindi by Saeed Arifi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.