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ख़ुदी मेरा पता देती है अब भी - सईद आरिफ़ी कविता - Darsaal

ख़ुदी मेरा पता देती है अब भी

ख़ुदी मेरा पता देती है अब भी

मुझे मुझ से मिला देती है अब भी

गुज़िश्ता मौसमों की नर्म ख़ुशबू

तअ'ल्लुक़ का पता देती है अब भी

कभी रह रह के इक गुमनाम ख़्वाहिश

सफ़र का हौसला देती है अब भी

ये आवारा-मिज़ाजी दश्त-ए-जाँ में

नया जादू जगा देती है अब भी

उम्मीद-ए-सुब्ह-ए-नौ हर शाम-ए-ग़म में

थकन सारी मिटा देती है अब भी

चमक ख़ुश-रंग लहजे की तुम्हारे

नई शमएँ जला देती है अब भी

ग़ज़ल के दिल-रुबा लहजे की शोख़ी

सुख़न का सिलसिला देती है अब भी

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In Hindi By Famous Poet Saeed Arifi. is written by Saeed Arifi. Complete Poem in Hindi by Saeed Arifi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.